संस्कृतभारती मेरठ-प्रान्त: शुक्रवासर: १७/०७/२०२० सुभाषितम् परोपकार: कर्त्तव्य: प्राणैरपि धनैरपि । परोपकारजं पुण्यं न स्यात् क्रतुशतैरपि ।। भावार्थ:-धन और प्राण देकर भी परोपकार करना चाहिए , क्योंकि परोपकार करने से जो पुण्य मिलता है , उसे १०० यज्ञ करके भी प्राप्त नहीं किया जा सकता । संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #sunrays #subhashit #inspirationalquotes #Sanskrit