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सूखे पत्ते सी जिंदगी बस उड़ रही है कभी इस गली तो उ

सूखे पत्ते सी जिंदगी बस उड़ रही है
कभी इस गली तो उस गली गुजर रही है

छोड़ा जो शाखा तो दर-दर भटक रही है
कभी भी पैरों के नीचे से तो
कभी गाड़ी के नीचे से निकल रही है

सूखे पत्ते सी जिंदगी बस उड़ रही है
कभी इस गली तो उस गली गुजर रही है

अश्रु नैन नीर में जो घुली रही हैं 
भाव विहीन हो धरा से मिल रही है 
नव उदय की लिए तमन्ना
शाखाओं पर फिर से खिल रही हैं

सूखे पत्ते सी जिंदगी बस उड़ रही है
इस गली तो उस गली गुजर रही है ।।

©kanchan Yadav
  #खोखली जिंदगी

#खोखली जिंदगी #कविता

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