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किसी तरह से बीत गया ये वर्ष तमाम ऊहापोह के बीच, ना

किसी तरह से बीत गया ये वर्ष
तमाम ऊहापोह के बीच,
नाहक नाश हुआ ये वर्ष 
बना काल corona नीच!

बीत गया सो बीत गया 
बनकर भूले बिसरे गीत,
नए वर्ष मे मिलेंगे हमको 
नई राहों के नए मीत!

नए सूर्य के नई किरणों से
होगी पावन एक मुलाकात,
गंगाजल हाथों मे लेकर 
करेंगे हम फिर से अरदास!

निश्चित दिन बहुरेंगे मेरे
निशा विकट यह बीतेगी,
नए दिवाकर के प्रवेश से 
नूतन मंजिल हमे मिलेगी!

अच्छे लोगों का साथ रहा
फिर भी ये गत वर्ष नापाक रहा,
रोते-रोते वो बीत गया पर
 आने वाले वर्ष का रास्ता साफ़ रहा!

उम्मीदों पर जीती है दुनिया 
आओ करे सुखद़ शुरुआत,
भूल इसे एक सपना सा 
आओ देखे नूतन प्रभात! 

**मनिषा**
(काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)

©Manisha singh ##End of 2020
किसी तरह से बीत गया ये वर्ष
तमाम ऊहापोह के बीच,
नाहक नाश हुआ ये वर्ष 
बना काल corona नीच!

बीत गया सो बीत गया 
बनकर भूले बिसरे गीत,
नए वर्ष मे मिलेंगे हमको 
नई राहों के नए मीत!

नए सूर्य के नई किरणों से
होगी पावन एक मुलाकात,
गंगाजल हाथों मे लेकर 
करेंगे हम फिर से अरदास!

निश्चित दिन बहुरेंगे मेरे
निशा विकट यह बीतेगी,
नए दिवाकर के प्रवेश से 
नूतन मंजिल हमे मिलेगी!

अच्छे लोगों का साथ रहा
फिर भी ये गत वर्ष नापाक रहा,
रोते-रोते वो बीत गया पर
 आने वाले वर्ष का रास्ता साफ़ रहा!

उम्मीदों पर जीती है दुनिया 
आओ करे सुखद़ शुरुआत,
भूल इसे एक सपना सा 
आओ देखे नूतन प्रभात! 

**मनिषा**
(काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)

©Manisha singh ##End of 2020