जुस्तुजू है की उनके हो जाए हम इसी बहाने दुनिया से खो जाए हम वो रुसवा न हो हम परेशा भी न हो इब्तिला से जुल्फों मे खो जाए हम करे हम बेसब्री से इंतज़ार उनका वक्त के पाबन्द भी हो जाए हम नीद मे ख्याब बन के आये वो उन्ही के ख्यालो मे खो जाए हम आखिर ख्याइस है की गुफ़्तुगू हो गुफ़्तुगू मे गा़लिब-ए-इश्क हो जाए हम अली गजल