।। धर्मयुद्ध।। मन के युद्ध से लड़ते नहीं वीरोचित्त भाव से खो जाते हैं धनंजय महाभारत के विराम से निज दिशा में उठती हैं जो कामनाएं अवरोध कर मत कर, मत कर युद्ध अपनों से फिर हार कर जो भागता है विह्वल हृदय कुरूक्षेत्र के दिगांत पर अश्रुओं से पूरित है काया सब बंधन तू पार कर आएंगे तेरे श्रीसखा चार अश्वों को बांध कर ओ केशव मधुसूदन चक्रधारी धर्म के विश्वास धर मेरे मन के विषबाण को उपचार करो उसे निकालकर कौड़ियों से सब कुछ मैं हारा, राष्ट्र हारा, पात्र हारा, भातृ हारा, मान-सम्मान सारा और पांडवों ने शीश हारा फिर कौरवों ने जिसे निहारा, वो प्रियतमा द्रौपदी को हारा तुम सर्वज्ञ हो, तुम प्रिय सखे हो मेरे, हे वासुदेव कृष्ण रक्षा करो, ये पाप हरो, धर्म धरो, हम सब पर दया करो उठो हे गांडीवधारी अर्जुन! धीर बनो रणधीर बनो सारी चिंता त्याग कर धर्मयुद्ध को प्राण दो, न्याय को आधार दो, कौरवों को शंखनाद दो, फिर कौरवों को तार दो।। vipin'श्रीdaas' #श्रीकृष्ण #धर्मयुद्ध #उपदेश #HopeMessage