#OpenPoetry तुझसे मेरी नजर मिल जाना यह इत्तेफाक नहीं है रोज का तुझको मेरी कदर हो जाना इत्तेफाक नहीं है हमारी सोच का मैं जान गया कि तू जान गई तुम मान गई कि मैं मान रहा अब बस करो नैन मटक्का अब तो रिहा कर दो हां कर दो या ना कर दो सच मुझसे कह दो हाल ऐसा है कि मैं रह नहीं पा रहा प्यार मेरा ऐसा है कि मैं कह नहीं पा रहा चलो तुम भी मेरी मन की पढ़ लो साथ आओ और बेइंतहा मोहब्बत कर लो #OpenPoetry #Aadarshasingh #NamitaWriter #NidhiDehru #ShaluKumari #HarishitaSingh