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अपने जब पराये हो जाते हैं, तब पराये अपने लगने लगते

अपने जब पराये हो जाते हैं, तब पराये अपने लगने लगते हैं।
दिल जार जार रोता रहता है
मगर होंठ बेवजह ही हंसने लगते हैं।
एक एक कदम उठाए नहीं उठते
फिर भी बेबश हो हम चलते रहते हैं।
क्यों हुआ ऐसा,क्या हुई खता
दिन रात बस यही सोचते रहते हैं।
बीती बातों को याद कर करके
बस जिंदगी बसर करते रहते हैं। #अपनों का बेगानापन
अपने जब पराये हो जाते हैं, तब पराये अपने लगने लगते हैं।
दिल जार जार रोता रहता है
मगर होंठ बेवजह ही हंसने लगते हैं।
एक एक कदम उठाए नहीं उठते
फिर भी बेबश हो हम चलते रहते हैं।
क्यों हुआ ऐसा,क्या हुई खता
दिन रात बस यही सोचते रहते हैं।
बीती बातों को याद कर करके
बस जिंदगी बसर करते रहते हैं। #अपनों का बेगानापन