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बागों की कली मैं हूँ सनम मस्त पवन तू। प्यासी हूँ

बागों की कली मैं हूँ  सनम मस्त पवन तू।
प्यासी हूँ धरा मुझ पे बरस नीलगगन तू ।।

चपला है नयन  चमके बदन चन्द्रकिरन तू।
सावन की घटा मस्त अदा  बरसे मगन तू।।

बागों में  कली खिलने लगी  महकी फजाएँ।
  आकर के कभी देख मेरे दिल का भवन तू।।

चूड़ी की खनक  रंगे धनक  चाल बहक है।
चलती है  बजाती  है नूपुर छन छनन तू।।

तिरछी है नज़र जाने ज़िगर क्या है इरादा।
दिल थाम के बैठे हैं चला तीर नयन तू ।। #Nojoto_Hindi
बागों की कली मैं हूँ  सनम मस्त पवन तू।
प्यासी हूँ धरा मुझ पे बरस नीलगगन तू ।।

चपला है नयन  चमके बदन चन्द्रकिरन तू।
सावन की घटा मस्त अदा  बरसे मगन तू।।

बागों में  कली खिलने लगी  महकी फजाएँ।
  आकर के कभी देख मेरे दिल का भवन तू।।

चूड़ी की खनक  रंगे धनक  चाल बहक है।
चलती है  बजाती  है नूपुर छन छनन तू।।

तिरछी है नज़र जाने ज़िगर क्या है इरादा।
दिल थाम के बैठे हैं चला तीर नयन तू ।। #Nojoto_Hindi