नज़ारा तीसरी मंज़िल पर है मेरा घर, बालकनी से छोटी सी दुनिया नज़र आती है । जीने की कोशिशों में धुत्त, कुछ बेवकूफों की बेवकूफियां नज़र आती है । कैद करलिया है मैंने अपने फ़ोन में तसवीर, जिसमे इनकी नज़दीकियां नज़र आती है । सोचा डालदु फेसबुक पर ये तस्वीर, जिससे मेरी जागरूकता नज़र आती है । पर ऐसा करूँगा नही, क्योंकि... तीसरी मंज़िल पर है मेरा घर, बालकनी से सिर्फ इनकी बेवकूफियां नज़र आती है, बेवकूफियों के पीछे की बेबसियां नही, बेबसियों के पीछे की कहानियां नही, कहानियों में परिस्थितियों की गंभीरता नही । तीसरी मंज़िल पर है मेरा घर, बालकनी से छोटी सी दुनिया नज़र आती है । - ई.स.कोन्नूर Nazara - what we privileged people see about less privileged people and assume about them.