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कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं जी चाहता है भट्ठी में उ

कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं 
जी चाहता है भट्ठी में उसे जला दूं 
और उसकी राख को अपने आकाश में
बादल सा उड़ा दूं 
जो धीरे धीरे उड़कर धूल कणों में मिल जाए 
बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं 
बोझिल जिंदगी आखिर कब तक.? 
"जेन्नी शबनम" कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं 
जी चाहता है भट्ठी में उसे जला दूं

और उसकी राख को अपने आकाश में 
बादल सा उड़ा दूं 

जो धीरे धीरे उड़ कर 
धूल कणों में मिल जाए
कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं 
जी चाहता है भट्ठी में उसे जला दूं 
और उसकी राख को अपने आकाश में
बादल सा उड़ा दूं 
जो धीरे धीरे उड़कर धूल कणों में मिल जाए 
बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं 
बोझिल जिंदगी आखिर कब तक.? 
"जेन्नी शबनम" कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं 
जी चाहता है भट्ठी में उसे जला दूं

और उसकी राख को अपने आकाश में 
बादल सा उड़ा दूं 

जो धीरे धीरे उड़ कर 
धूल कणों में मिल जाए