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बिन मांगे मैने सब कूछ दिया अब मांग रही तुमसे कूछ

बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बचा लो
नही तो इस जहां मे रहेगा ना कूछ
मैं नदी सदियों से बहती निरंतर रहती हूं 
अब कलयुग के इस डगर मैं सूख सी जैसे रही हूं
सदियों से मैने अनगिनत लोगो की प्यास भुजाई है
हे! मानव रहम कर अब मैं भुजी तो कौन मुझे बचायेगा
कितनो को मोक्ष दिया है
कितनो का मैल पिया है
कितनी ठोकरे खाईं है
कितने युग देखे है
मै नदी....
हे! मानव अब जाग
मै नही होंगी तो ना होगा जीवन इस धरती पे
ना होगी बारिश ना होगा जंगल
सूख जाऊंगी मै तो सूख जायेंगे सब
मै नदी.... नदी बचाओ जीवन बचाओ
एक नदी अपनी पीढ़ा व्यक्त करती हुई
मेरे शब्दो में...

बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बचा लो
नही तो इस जहां मे रहेगा ना कूछ
बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बचा लो
नही तो इस जहां मे रहेगा ना कूछ
मैं नदी सदियों से बहती निरंतर रहती हूं 
अब कलयुग के इस डगर मैं सूख सी जैसे रही हूं
सदियों से मैने अनगिनत लोगो की प्यास भुजाई है
हे! मानव रहम कर अब मैं भुजी तो कौन मुझे बचायेगा
कितनो को मोक्ष दिया है
कितनो का मैल पिया है
कितनी ठोकरे खाईं है
कितने युग देखे है
मै नदी....
हे! मानव अब जाग
मै नही होंगी तो ना होगा जीवन इस धरती पे
ना होगी बारिश ना होगा जंगल
सूख जाऊंगी मै तो सूख जायेंगे सब
मै नदी.... नदी बचाओ जीवन बचाओ
एक नदी अपनी पीढ़ा व्यक्त करती हुई
मेरे शब्दो में...

बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बचा लो
नही तो इस जहां मे रहेगा ना कूछ