देश विदेश के व्यापार बढ़े लोगों के अनुसार बढ़े घासों के मैदान बढें तकनीकी और संचार बढ़े सबके रीतिरिवाज बढें बढ न सकी सोच यहां पर आए दिन अत्याचार बढ़े नये नये इतिहास बने कइयों यहां लाचार बने धोखे के प्रचार-प्रसार बढ़े आए दिन अत्याचार बढ़े।। ©Shilpa yadav #Anticorruption #motivational #truth#curruption #Truth_of_Life #समाज #दर्पण________है Dayal "दीप, Goswami.. मañjü pãwãr