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मेरे मन से निकले भावों का दूसरे के मन तक हो संचार,

मेरे मन से निकले भावों का दूसरे के मन तक हो संचार,
जिसमें हो सामाजिक चिंतन और आचार व्यवहार

निश्छल,निष्पक्ष भाव हो जिसका 
पुष्पगुच्छ-सी जिसमें समावेश हर भावना का 

जीवन के रेगिस्तान में जो सुकून की अनुभूति कराए 
हाँ, थोड़ी सागर की लहरों जैसी चंचलता दिखाए

विद्रोह का भाव हो उसके भीतर
व्यंग्य का स्वाद हो थोड़ा बाहर

छंद ,अलंकरणों से कहाँ कर पाऊँगी मैं उसे सुसज्जित 
सीधी ,सरल हो मगर खूबसूरत मेरी माँ की तरह

साहस हो भारतीय स्त्री की तरह उस में 
क्रोध अन्याय के प्रति हो जिस में

मेरी कविता हो ऐसी जो एक 'अनाम' तृप्ति से भर दे मुझे, 
और मेरे मरण के पश्चात भी जीवित रहे अनंत काल तक।  #anumika 
#अनाम_कविताएँ
मेरे मन से निकले भावों का दूसरे के मन तक हो संचार,
जिसमें हो सामाजिक चिंतन और आचार व्यवहार

निश्छल,निष्पक्ष भाव हो जिसका 
पुष्पगुच्छ-सी जिसमें समावेश हर भावना का 

जीवन के रेगिस्तान में जो सुकून की अनुभूति कराए 
हाँ, थोड़ी सागर की लहरों जैसी चंचलता दिखाए

विद्रोह का भाव हो उसके भीतर
व्यंग्य का स्वाद हो थोड़ा बाहर

छंद ,अलंकरणों से कहाँ कर पाऊँगी मैं उसे सुसज्जित 
सीधी ,सरल हो मगर खूबसूरत मेरी माँ की तरह

साहस हो भारतीय स्त्री की तरह उस में 
क्रोध अन्याय के प्रति हो जिस में

मेरी कविता हो ऐसी जो एक 'अनाम' तृप्ति से भर दे मुझे, 
और मेरे मरण के पश्चात भी जीवित रहे अनंत काल तक।  #anumika 
#अनाम_कविताएँ