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उसे छोड़कर जाना पड़ेगा, हमने ये न सोचा था कभी। कैसे

उसे छोड़कर जाना पड़ेगा, हमने ये न सोचा था कभी।
कैसे कटेगी अब ये ज़िंदगी, हर पल है अब सोच यही।

चाहत उससे थी बेशुमार, जानते थे अपने लोग सभी।
इस तरह हम दूर हो गए, पर किसी ने रोका ही नहीं।

सपने हम सच्ची चाहत के, उसके संग सजाए बैठे थे।
इश्क़ की क़ाफ़िया पढ़ते थे, पर ये था कोई रोग नहीं।

हौले-हौले, धीरे-धीरे सही, इश्क़ हमारा परवान चढ़ा।
दोनों इक दूजे में घुल गए, इस पर थी कोई रोक नहीं।

काश कि दोनों की चाहत, कभी ऐसे ही रुकती नहीं।
हम दोनों हमेशा संग रहते, छोड़कर जाना पड़ता नहीं।  ❤ प्रतियोगिता- 470

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"छोड़कर जाना पड़ेगा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
उसे छोड़कर जाना पड़ेगा, हमने ये न सोचा था कभी।
कैसे कटेगी अब ये ज़िंदगी, हर पल है अब सोच यही।

चाहत उससे थी बेशुमार, जानते थे अपने लोग सभी।
इस तरह हम दूर हो गए, पर किसी ने रोका ही नहीं।

सपने हम सच्ची चाहत के, उसके संग सजाए बैठे थे।
इश्क़ की क़ाफ़िया पढ़ते थे, पर ये था कोई रोग नहीं।

हौले-हौले, धीरे-धीरे सही, इश्क़ हमारा परवान चढ़ा।
दोनों इक दूजे में घुल गए, इस पर थी कोई रोक नहीं।

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