सुनो! ज़रा मेरी बेताबी का इश्तिहार निकाल दो, पहली मोहबत्त की मुलाकात है उनसे, मेरे धड़कनों की गूँज पे एक किताब निकाल दो। उसके दीदार कि बेताब है आँखे मेरी, खुद से बगावत कर रही, इस दिल की उस दिल में अहसास करा दो, तूफान मचा है जो तस्व्वुर में उस बेताबी पे एक एक नया फसाना लिख दो। ज़रा मेरी बेताबी पे इश्तिहार निकल दो। आहटे उसकी तन मन को झकझोर रही , अब और आहिस्ता चलने की न जोर डालो, थोड़ा और वक्त की रफ़्तार तेज़ कर दो। जितना मै बेताब हु उसके लिए, उतना ही उसे बेताब कर दो। ज़रा मेरी बेताबी पे इस्तिहार निकाल दो। #प्रदीप सरगम# #MeriBetaabi #nojotohindi #Nojoto siyaaa🖤 Haquikat