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रात का आलम बड़ा खाली सा लगता है हर अपना बेगाना सा

रात का आलम बड़ा खाली सा लगता है
हर अपना बेगाना सा लगता है 
कोई नही ह जो समझे इस दिल के खालीपन को
ये सारा जहां अब फसाना सा लगता है
कोई है जो दिल को थोड़ा समझ रहा है
हर पागल दीवाना सा लगता है
रास्ते न जाने कितने ही मिले
हर मुकाम एक खजाना सा लगता है
है बैठी किस सोच में ये 
ये सोए सपनो को जगाना सा लगता है
की रात का आलम बड़ा खाली सा लगता है
हर अपना बेगाना सा लगता है..........

©Deepti Dwivedi
  #Kaarya