सूखे पत्तों सी उड़ती जिंदगी यहां वहां बारिश की बूंदों से भीग कर कुछ पल ठहर जाती हवाओं के झोंकों में धूप के उजालो में फूलों की खुशबू में चांद की चांदनी में,,,, हर जुस्तजू में जब्त है रूह की कशिश कुछ बेताबी सी कुछ बेसब्र सी,,,,, ढूंढती है खाली खाली से दिनों में कभी न खत्म होने वाले रास्तों की डगर में,,,,