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तुकाराम महाराज अभंग!!१!! समचरण दृष्टि विटेवरी सा

तुकाराम महाराज
अभंग!!१!!


समचरण दृष्टि विटेवरी साजिरी! तेथे माझी हरी वृत्ती राहो!!१!!
आणिक न लगे मायिक पदार्थ! तेथे माझे आर्त नको देवा!!२!!
ब्रह्मादिक पदे दु:खाची शिराणी। तेथे दुश्चित झणी जडो देसी!!३!!
तुका म्हणे त्याचे कळले आम्हा वर्म!जे जे कर्मधर्म नाशवंत!!४!!

© balaji boinwad #तुकाराम महाराज अभंग
तुकाराम महाराज
अभंग!!१!!


समचरण दृष्टि विटेवरी साजिरी! तेथे माझी हरी वृत्ती राहो!!१!!
आणिक न लगे मायिक पदार्थ! तेथे माझे आर्त नको देवा!!२!!
ब्रह्मादिक पदे दु:खाची शिराणी। तेथे दुश्चित झणी जडो देसी!!३!!
तुका म्हणे त्याचे कळले आम्हा वर्म!जे जे कर्मधर्म नाशवंत!!४!!

© balaji boinwad #तुकाराम महाराज अभंग