एक पुरुष के पुरुष बनने में जो समय लगता है वो एक शाश्वत क्रिया है जो चोट खा कर बिखर गए वो बिगड़ गए... और कंकड़ हो गए जो चोट खाकर संवार गए वो निखर गए और शंकर हो गए ... एक पुरुष के पुरुष बनने में जो समय लगता है वो एक शाश्वत क्रिया है जो चोट खा कर बिखर गए वो बिगड़ गए... और कंकड़ हो गए