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[06.] जो बुलाया करते थे वो रूठे हुए हैं इस्तिक़बा

[06.]

जो बुलाया करते थे वो रूठे हुए हैं
इस्तिक़बाल में हमारे आदाब कौन देगा। 
नींद की रातों से दुश्मनी पुरानी है
खुली आँखों को अब ख़्वाब कौन देगा। 
दिनों की वसूली तो कर ली मैंने
तन्हा रातों का हिसाब कौन देगा।।

©Rohit Bhargava (Monty)
  #roshni