मंज़िल की जुस्तजू है तो मुकद्दर से क्या डरना है इश्क है #हमारे_दरमियाँ सरेआम ऐलान करना है दुश्मन बने जमाना तो बनता रहे मगर हमें तो जिसकी आरजू है माला में वही मोती गढ़ना है नैनों में संजोया है इक नायाब हसीन ख़्वाब को उसे ही तराशकर इक सुंदर हकीक़त में बदलना है चल रूख्स़त हों जमाने से चलें कहीं गगन में अल्फ़ाजों को छोड़ यहीं हमें #ख़ामोशी से बातें करना है उड़ने को आतुर हैं हम दोनो इश्क के पंछी फिर क्यों जमाने को हमें बेड़ियों में जकड़ना है सुन ले रे ऐ जमाना तू लाख जतन कर ले नहीं बिछड़ेंगे इश्क के पंछी, हमें साथ में जीना मरना है #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #नोजोटो #nojoto #nojotohindi #shayari #nazm