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प्रेरणा आधारित कहानी ************************* वि

प्रेरणा आधारित कहानी
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विषय:-मेहनत से ख़ुद की पहचान कर

कृपया सम्पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏 
विधा:-कहानी
विषय:-मेहनत से खुद की पहचान कर

विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी विधवा माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था,एक दिन उसे अपनी माँ को अकेला छोड़ दूसरे शहर जाना पड़ा तो वहाँ भी उसे कहिं कोई काम नही मिला औऱ वह बारम्बार नौकरी के साक्षात्कार दे कर थक चुके था, फिर हताश हो वह अपनी माँ के पास वापिस लौट आता है औऱ फिर उसके घर उसके मामा जी का आगमन होता है तो मामा जी ने पूछा औऱ विनय क्या कर रहे हो आजकल या यूं ही मक्खियाँ मारते फिरते हो फिर उसने उत्तर दिया कि मामा जी मेने एम.ए.यानी
स्नातकोत्तर तक पढ़ाई कर ली हैं ।इस पर मामा जी ने व्यंग्य भरते हुए कहा,कि बेटा चाहे पढ़ लो बिशवी पर सरकारी नौकरी नही तो सब बेकार हैं, यहाँ मामा जी ने विनय को जी भर कर तंज कसा जो कि विनय के मस्तिष्क को झकझोर कर रख देता हैं।वह पूरी रात उन्ही बातों को सोच सोता नही है फिर वह ठान लेता हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाये जमाने के मुंह को बंद करना ही पड़ेगा।फिर उसको तो ज़माने की क्या ख़ुद की भी फ़िक्र नही थी विनय दिनरात स्वंय को ज्ञान के 100 डिग्री तपमान पर तपने लग गया औऱ सारी कोशिशें करता चाहें वो कैसी भी हो पर विनय के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी थी कि उसके हालात बहुत ही शोचनीय थे वो पैसों के लिये तरसा था तो महंगे इंस्टीट्यूट में क्लास नही ले पाता था तो वह छोटे छोटे इंस्टीट्यूट से एक एक विषय की क्लास लेता था,औऱ अपना हाथ हर विषय मे मजबूत करता था। औऱ जैसे तैसे कर के वह अपना ज्ञान तीव्रता के शिखर पर ले गया।औऱ खुद को एक कमरे में ऐसे बन्द कर लिया कि उसने सूरज की किरन तक न देखी थी।पूरा एक वर्ष बीत गया औऱ फिर परीक्षा देने का वो इंतजार का पल आया औऱ उसने पूरे सटीक विश्वास का साथ लेते हुये वह परीक्षा स्थल पर पहुंचा।फिर परीक्षा भी दी।परन्तु कहिं न कहिं उसके मन मे हार जाने का डर सता रहा था। फिर कुछ महीनों बाद परिणाम घोषित हुये तो उसकी धड़कने बढ़ रही थी।उसने अपना पंजीकरण अंक दर्ज किए तो थोड़ी देर बाद सर्च किया तो देखा कि उसका नाम उस सूची में था औऱ वह सिलेक्ट हो गया था।यह देख उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था।वह सबसे पहले अपनी माँ के पास जाता है और अपना परिणाम बताता है ।माँ आशीषों का भंडार लगाती हुई आँखों मे खुशी के आँसू छलकाती हैं।और मात्र एक पंक्ति कहती है।""मेहनत से नही घबराना, अपना आपा जानना जरूरी हैं"""विनय अब अपने सभी सपने खुली आँखों से पूरे होते नज़र आ रहे थे।औऱ दुख के बादल अब हटने लगे थे।और सबसे जरूरी बात वो तो यह थी कि जमाने के मुँह पर जोर का तमाचा उसने अपनी मेहनत से बड़ी ही तेज़ मारा था।

     ------------इतिश्री----------------
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विषय:-मेहनत से ख़ुद की पहचान कर

कृपया सम्पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏 
विधा:-कहानी
विषय:-मेहनत से खुद की पहचान कर

विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी विधवा माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था,एक दिन उसे अपनी माँ को अकेला छोड़ दूसरे शहर जाना पड़ा तो वहाँ भी उसे कहिं कोई काम नही मिला औऱ वह बारम्बार नौकरी के साक्षात्कार दे कर थक चुके था, फिर हताश हो वह अपनी माँ के पास वापिस लौट आता है औऱ फिर उसके घर उसके मामा जी का आगमन होता है तो मामा जी ने पूछा औऱ विनय क्या कर रहे हो आजकल या यूं ही मक्खियाँ मारते फिरते हो फिर उसने उत्तर दिया कि मामा जी मेने एम.ए.यानी
स्नातकोत्तर तक पढ़ाई कर ली हैं ।इस पर मामा जी ने व्यंग्य भरते हुए कहा,कि बेटा चाहे पढ़ लो बिशवी पर सरकारी नौकरी नही तो सब बेकार हैं, यहाँ मामा जी ने विनय को जी भर कर तंज कसा जो कि विनय के मस्तिष्क को झकझोर कर रख देता हैं।वह पूरी रात उन्ही बातों को सोच सोता नही है फिर वह ठान लेता हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाये जमाने के मुंह को बंद करना ही पड़ेगा।फिर उसको तो ज़माने की क्या ख़ुद की भी फ़िक्र नही थी विनय दिनरात स्वंय को ज्ञान के 100 डिग्री तपमान पर तपने लग गया औऱ सारी कोशिशें करता चाहें वो कैसी भी हो पर विनय के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी थी कि उसके हालात बहुत ही शोचनीय थे वो पैसों के लिये तरसा था तो महंगे इंस्टीट्यूट में क्लास नही ले पाता था तो वह छोटे छोटे इंस्टीट्यूट से एक एक विषय की क्लास लेता था,औऱ अपना हाथ हर विषय मे मजबूत करता था। औऱ जैसे तैसे कर के वह अपना ज्ञान तीव्रता के शिखर पर ले गया।औऱ खुद को एक कमरे में ऐसे बन्द कर लिया कि उसने सूरज की किरन तक न देखी थी।पूरा एक वर्ष बीत गया औऱ फिर परीक्षा देने का वो इंतजार का पल आया औऱ उसने पूरे सटीक विश्वास का साथ लेते हुये वह परीक्षा स्थल पर पहुंचा।फिर परीक्षा भी दी।परन्तु कहिं न कहिं उसके मन मे हार जाने का डर सता रहा था। फिर कुछ महीनों बाद परिणाम घोषित हुये तो उसकी धड़कने बढ़ रही थी।उसने अपना पंजीकरण अंक दर्ज किए तो थोड़ी देर बाद सर्च किया तो देखा कि उसका नाम उस सूची में था औऱ वह सिलेक्ट हो गया था।यह देख उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था।वह सबसे पहले अपनी माँ के पास जाता है और अपना परिणाम बताता है ।माँ आशीषों का भंडार लगाती हुई आँखों मे खुशी के आँसू छलकाती हैं।और मात्र एक पंक्ति कहती है।""मेहनत से नही घबराना, अपना आपा जानना जरूरी हैं"""विनय अब अपने सभी सपने खुली आँखों से पूरे होते नज़र आ रहे थे।औऱ दुख के बादल अब हटने लगे थे।और सबसे जरूरी बात वो तो यह थी कि जमाने के मुँह पर जोर का तमाचा उसने अपनी मेहनत से बड़ी ही तेज़ मारा था।

     ------------इतिश्री----------------