कभी साथ चलता था मेरा गुरुर मेरे ही। मगर ना जाने क्यों ? आज कल गेरो के आगे झुकता है! कभी दौड़ता था रगों में अहम मेरे ही। मगर ना जाने क्यों? सीने में अब चुबता है! चलती है सांसे मेरी बेजार होकर मुझमें..... दम अब मेरा घुटता है। ©Ritik #Dum_ghutta_hai