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अब प्रवेश जीवन में उस का जिस का जादू सर चढ़ कर बोल

अब प्रवेश जीवन में उस का
जिस का जादू सर चढ़ कर बोले
जिसने आकार जीवन में मेरे
अपने घूंघट के पट थे खोले।
अर्धांगिनी, सहचरी ,भार्या वो
सचमुच कितनी है अलबेली
जब से वो इस जीवन आई
मेरे सब सुख दुख संग खेली।
वंश दिया, परिपक्व किया
ये जाने कितने सारे मंतर
एक स्पर्श जो मिलता है इसका
कष्ट मेरे ज्यों सारे छूमंतर ।
एक जन्म जो साथ जुड़ी
फिर जाने कितने जन्मों का लेखा
इस जादूगर ने मुझ से जोड़ी
है बस अपनी जीवन रेखा ।।

जारी है.....

©Dinesh Paliwal #Ardhangini
अब प्रवेश जीवन में उस का
जिस का जादू सर चढ़ कर बोले
जिसने आकार जीवन में मेरे
अपने घूंघट के पट थे खोले।
अर्धांगिनी, सहचरी ,भार्या वो
सचमुच कितनी है अलबेली
जब से वो इस जीवन आई
मेरे सब सुख दुख संग खेली।
वंश दिया, परिपक्व किया
ये जाने कितने सारे मंतर
एक स्पर्श जो मिलता है इसका
कष्ट मेरे ज्यों सारे छूमंतर ।
एक जन्म जो साथ जुड़ी
फिर जाने कितने जन्मों का लेखा
इस जादूगर ने मुझ से जोड़ी
है बस अपनी जीवन रेखा ।।

जारी है.....

©Dinesh Paliwal #Ardhangini