ताक़त का ज़रा भी गुमान नहीं करने का, अपने घमंड को आसमान नहीं करने का। अल्लाह की नज़र क्या ज़रा फिरि ज़मीं दोज़ हो जाएगा, उसकी मख़लूक़ को परेशान नहीं करने का। जो मिला है उसे तक़सीम कर, मिल के खा साथ कुछ नहीं जाएगा सिवा फैल के तुम्हारे, इकट्ठा दुनियावी सामान, नहीं करने का। ज़बां में शीरी तो मुलक गीरी इसी फलसफे पे जीता जा। ग़ीबत चुगली गाली झूठ गलत बयान, नहीं करने का। ताक़त का ज़रा भी गुमान नहीं करने का.... ~Hilal Hathravi #ताक़त का ज़रा भी गुमान नहीं करने का,