करें तारीफ़ क्या उसकी,नहीं अब शब्द मिलते हैं। अभी से गीत ग़ज़लों में, हमारे लब न हिलते हैं। दरस उसका करें जब भी,बताएँ हाल क्या अपना- हमारे दिल के बगिया में,सुकोमल फूल खिलते हैं। #मुक्तक #तारीफ़_ए_महबूब #विश्वासी