सपने को लक्ष्य मान की शुरुआत , उसके लिए किए मैंने अपने प्रयास , पर क़िस्मत को थी कुछ और मंजुर , शायद मेहनत में रही होगी कोई क़सूर ! आशा की किरण नहीं दिख रही , हौसले टूट के बिखर गए अब सारे , कोई साथ भी ना खड़ा था अब मेरे , असफलता का दर्द सहन से था परे !! कुछ कमी रही होगी प्रयासों में मेरे , तभी मंजिल नसीब नहीं हुई हो मेरे , जो सपने थे इन आँखों मे पलते मेरे , उसके लिए तो ये जंग जारी रहेंगे मेरे !!! ~एक असफ़ल छात्र Part 3 ~ एक असफलत छात्र सपने को लक्ष्य मान की शुरुआत , उसके लिए किए हर प्रयास मैंने ,