हल्केपन का बोझ लिए, मैं उड़ता रहा तूफानो मे । मिलता कोई अपना कैसे, मै जा पड़ा बियाबानो मे। अरमान भरा दिल लेकर, हम भी थे तेरी महफिल मे, अपना भी होता नाम कहीं, साक़ी तेरे पैमानो मे । लिखदी उपर वाले ने, ग़मे-जुदाई क़िस्मत मे , "फिराक़", हो गया नाम तेरा, अब शामिल परवानो मे । नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳