मंजिल को छू ना सके ये सोच के गमगीन ना हो. ये सोच की सफर कितना खूबसूरत था! अनजान राहों पे जो ठोकर मिले ये सोच के गमगीन ना हो. ये सोच की हमसफ़र कितना खूबसूरत था! वो चांद ही क्या जो नखरिली अदाएं ना दिखाए. वो दिलरुबा ही क्या जो जाम की आदत ना लगाए. किसी मोड़ पे कोई जुड़ता है तो कोई बिछड़ता है इतराने की जरूरत नहीं ए चांद.. इल्ज़ाम दाग का तुझपे भी तो पड़ता है! हम फिर वापस आएंगे तुझे उंगलियों से छूने को. ज़रा सब्र तो रख दीदारे हुस्न अभी बाक़ी है! #ISRO #Chandrayaan2 #ISRO #CHANDRAYAAN2 #IndiaWithISRO