उलझन इस बात की है कि *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“26/5/2021”*📚 ✨ *“बुधवार”*🌟 “अधिकार”... न “साधारण” सा “शब्द” है न ही “व्यापार”, “स्वयं ईश्वर” ने “मनुष्य” को “जीवन” जीने का “अधिकार” दिया है, किंतु जब बात आती है “स्त्री” के “अधिकार” की तो उस “अधिकार” के साथ “कर्तव्य” जुड़ जाता है, अब स्त्री के अनेक “अधिकारों” में से एक “अधिकार” है “स्वयं का वर” चुनना, कोई ऐसा “व्यक्ति” चुनना जो “स्वयं” के साथ साथ “पत्नी” के साथ साथ,“परिवार” के साथ साथ इस “समाज” का “वर्चस्व” ऊचा करे, अब सोचिए कि “स्वयं का वर” चुनना कितना “बड़ा अधिकार” है, “योग्य वर” चुनना उससे भी बड़ा “कर्तव्य” है, इसलिए “स्त्री के अधिकार” के साथ साथ “कर्तव्य” भी जुड़ जाता है, “अधिकार” उस शब्द का महत्व और भी बढ़ जाता है, इसलिए आप भी अपने “जीवन” में इस “अधिकार” के साथ इस “कर्तव्य” को पूर्ण किजिए तो आपका हर “स्वप्न” पूरा होगा... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“26/5/2021”*📚 ✨ *“बुधवार”*🌟 #“स्त्री” #“अधिकार”