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White शहर की भीड़ में चलते-चलते, थक जाते जब मेरे

White 
शहर की भीड़ में चलते-चलते,
थक जाते जब मेरे पांव।
करता मुझ पर अपनी छांव, 
प्यारा सबसे,न्यारा सबसे मेरा गांव।।

देखे कितने महल मकान,
कहीं न मिला चैन पलभर।
बसता दिलों में प्यार जहां,
जन्नत से भी सुंदर है ये घर।
पीछे प्यारा प्यारा पनघट है,
आगे नीम की ठंडी छांव।
प्यारा सबसे न्यारा सबसे मेरा गांव।।

हरदम रहती हरियाली है।
हर ऋतु यहां की सुहानी है।
मिलकर सुख दुख सहना,
रीत वहीं सदियों पुरानी है।
सुबह शाम आंगन में आकर 
कौवे करते कांव-कांव।
प्यारा सबसे न्यारा सबसे मेरा गांव।।
स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर

©Nilam Agarwalla
  #मेरा_गांव