*पूजनीय तुम कहलाओगे* परचिन्तन करना छोड़कर, सोचो अपना कल्याण अवगुणमुक्त होकर, कर लो अपना चरित्र निर्माण रूप रुपये का आकर्षण, लक्ष्य पथ से भटकाता विचारों को दुषित बनाकर, चरित्र को भी गिराता जिनके मन्दिर में जाते, वे पूजनीय क्यों कहलाते उनके आगे अपना शीश, किस कारण से झुकाते पूज्य क्यों उनकी मूरत, हम क्यों बन गए पुजारी झुकना पड़ता उनके आगे, ऐसी क्या भूल हमारी पवित्र जीवन के कारण ही, वे पूजनीय कहलाए उनकी जीवनकथा में विकार, नजर हमें ना आए राम हैं मर्यादा पुरुषोत्तम, कृष्ण योगेश्वर कहलाते अपने चरित्र से केवल, ये दिव्य गुण ही झलकाते यदि अपने जीवन को भी, मर्यादित तुम बनाओगे निश्चित रूप से तुम भी, इस जग में पूजे जाओगे परमपिता शिव परमात्मा है, सर्व गुणों का सागर उनकी याद में भरो, दिव्य गुणों से मन की गागर वो ही कृष्ण का गोपेश्वर, और राम का है रामेश्वर दुःख रूपी विष पीने वाला, शिव ही पापकाटेश्वर उसकी अटूट याद से, जीवन में आएगा श्रेष्ठाचार मिट जाएगा बुद्धि से, पांच विकारों का भ्रष्टाचार कमल पुष्प समान जब, अपना जीवन बनाओगे औरों की नजरों में तब, पूजनीय तुम कहलाओगे *ॐ शान्ति* *मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान* ©Mukesh Kumar Modi #holysprit