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कंठ वासुकी माला जिनके शीश चंद्रमा रहता है जटा से ग

कंठ वासुकी माला जिनके
शीश चंद्रमा रहता है
जटा से गंगा बहती उनके 
ओंकार ध्यान में लीन वो रहता है

पूरे जग का स्वामी होकर
अघोर जीवन जीता है

समुद्र मंथन से अमृत बांट 
जो स्वयं विष पी लेता है

शांत रहे तो भोले भंडारी
क्रोध में तांडव कर देता है

अपने भक्तो से खुश होकर
वो बिना शर्त अजर अमर कर देता है

देव , मनुष्य और दानव 
वो सबके द्वारा पूजता है

मेरे शिव शंभू 
के जैसा और नही 
कोई हो सकता है

©Sajan
  #शिवशंकर