वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है --------------------------------------------- मेरे बारे में; तुम्हारे मन में क्या ख्याल है हर जवाब हाजिर है; पूछिए क्या सवाल है तुम गुजर गए करीब से; मैं सोचता रहा इस बात का तब से; अब तक मलाल है हर तरफ लगी थी आग; तमाशा बहुत हुआ वो बंसी बजा रहे थे; गजब कमाल है चुप रहो तो बेहतर है; सम्मान भी मिले आवाज उठाई तो समझो; गर्दन हलाल है किस बात की शरम है, खुलकर सौदा करो हम भी दलाल हैं और वो भी दलाल है अमिताभ बुधौलिया