प्रथम सब शून्य था, अतिविशाल बिन्दु रूप, अकस्मात प्रलय का महासृजन हुआ, प्रलय के भयंकर नाद से, प्रेम का मनोरम संगीत बना, बिखरे कण फिर सब एक हुए, एक धरा और एक चाँद बना, उसी प्रलय की अतुल्य ऊर्जा से, दूर कहीं धरा की गहन कोख में, जीवन का प्रथम राग बना, राग बना विराग बना, शांत चंचल प्रकृति का सुन्दर गान बना, प्रेम की पवित्र छाया में, ईश्वर का अपना परिवार बना, सृजन के शाश्वत नाद में, कहीं नश्वर मनुष्य बना, मनुष्य की असीम नश्वरता में, प्रकृति का शाश्वत नाश हुआ, शांत प्रकृति का मन फिर निरा अशांत हुआ, अशांत विचलित हृदय में फिर, सृजन का अतिशय उत्पात हुआ, इस असीम सृजन से व्याकुल होकर, प्रकृति ने फिर प्रलय का स्वप्निल स्वांग रचा, स्वांग ऐसा जिसमें केवल सृजन दिखा, असीम विकास दिखा, सत्य था जो दिखा नहीं, जो दिखा वो सत्य नहीं, इस स्वांग के अंतिम क्षण में, पुनः सब शून्य होगा !!! अतिशय लघु गगनरूप!!! ©Neha singh #aslineha #Bigbang प्रथम सब शून्य था, अतिविशाल बिन्दु रूप, अकस्मात प्रलय का महासृजन हुआ, प्रलय के भयंकर नाद से, प्रेम का मनोरम संगीत बना, बिखरे कण फिर सब एक हुए, एक धरा और एक चाँद बना,