सफेद है मुस्कान आईना काला है सकूनँ सो रहा है वारदातों का बोलबाला है रात के आँगन में कहीं खामोखी है कहीं सन्नाटा है नींद में है उजाला जो दिन का रखवाला है रात के आँगन में माँ का आँचल हैं बाप का साया हैं बच्चों की थकी शरारतों की लोरियों भरी संगीतशाला है रात के आँगन में हाँ रात सूकूँ भी है, बैचैनी भी है दुख भी है सुख भी है रात एक रहस्य है जहाँ धरती पर भी सितारे (रात्री में खिलने वाले फूल) और आँसमाँ पर भी रात एक समानता है जहाँ सिर्फ सफेद रंग ही चमकता है खिलता है काले रंग के इर्द गिर्द काले रंग से घिरा बिना किसी अंतरद्वद के रात के आँगन में रहस्यगहराया रात के आँगन में पारुल शर्मा रात के आँगन में #सफेद है #मुस्कान #आईना #काला है #सकूनँ सो रहा है #वारदातों का #बोलबाला है #रात के #आँगन में कहीं #खामोखी है कहीं #सन्नाटा है