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*विजय पथ * क्या मैं पहुँच सकता हूँ क्या यही म

*विजय पथ *

   क्या मैं पहुँच सकता हूँ क्या  यही मंजिल है
   नहीं, मैं पहले अपने अहंकार को हटाओ 
   तुम्हारे सभी दिव्य गुण निरंतर विकसित होते रहें
   ये दुनिया तुम्हारे  सामने समर्पण कर देगी.

   ये एक दर्दनाक यात्रा है, एक  मौत की राह
   अपने डर  की बातें मत सुनो, चलो, दोडो 
  तुम्हारी  मंजिल तुम्हारा  दृढ़ संकल्प है।

   तुम्हे  किसी के उदाहरण की जरूरत नहीं है
   तुम खुद एक आदर्श हो,  बिना किसी जीत के 
   पाखंडियों की बात मत सुनो मेरे दोस्त
   कुछ भी हासिल करो ये तुम्हारा अधिकार है..

   तुम किसी भी  सुदूर गंतव्य तक पहुंच सकते हैं
   तुम्हारे पास इच्छाशक्ति है, तुम्हारे पास ताकत है, चले जाओ
   उन सभी को ज्ञान दें जो कहते हैं कि यह असंभव है
    एक बार असाधारण बनो..

   ✒️ *-लकुमिकांदा मुकुंद*

©Lakumikanda Mukunda 
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