मुझे लगता रहा, मैंने कोई ठाँव बना लिया होगा नहीं पता था कोई फर्क नहीं होगा मेरे ना होने से.....!! प्रेम की उत्कृष्ट भाषा नीति में हर बार रोई प्रेम में बहती हवाएँ एक पथ में जा के खोई चाहते हो तुम प्रणय का यदि प्रमाणित पत्र तो फिर सोच लो हर भावना मन में कहीं जाकर के सोई प्रेम की उत्कृष्ट भाषा नीति में हर बार रोई वह पथिक जिसकी हथेली थाम आगे बढ़ रहे हो तुम नहीं लेकिन, हां उसकी आंख में सौ अश्रु होंगे