जब मैं सोचता हूँ मैं क्यूँ तनहा हूँ खुद से ही ना जाने मैं क्यूँ खफा हूँ मेरे ये आंसु दिखते नहीं है मैं इन आंसुओं को क्यूँ पिता हूँ जब मैं सोचता ..................... मेरे दर्दो का ना कोई दवा है मैं इन दर्दो को क्यूँ सहता हूँ जख्म ये मेरे बिकते नहीं है बिन ज़ख्मो के मैं कांहा रहता हूँ जब मैं ....................... अपना सा दर्द