कॉलेज से मेरे होस्टल की दूरी महज आधे घंटे की थी ! मगर आज वो दूरी मुझे कई मीलो की लग रही थी ! क्योकी ' वो ' अपनी फ्रेन्ड के साथ बाते करते करते मेरे पीछे ही आ रही थी .....मानो एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा कही, ये मेरे होस्टल में न आ धमके! मगर ऊपर वाले की क्रपा से वो चौक के पीछे वाली गली की तरफ मुड गई और तब जाके मेरे सीने की धक -धक कम हुई! रूम में जाकर मैंने कपडे चेन्ज किये तब तक बिहारी चाचा की रसोई से थाली पीटने की आवाज़ आ गई और हम सभी एक एक कर रसोई में हाजिर हो गये आप सोच रहे होंगे की थाली पीटना ये कैसा साइन था ! पहले दिन मुझे भी अजीब लगा था मगर फिर पता चला की बिहारी चाचा गूगे हैं! और वो सबको बुला नही सकते इस लिए खाना बनते ही वो थाली पीटना सुरू कर देते हैं खाना करने के बाद हम और हमारा रूम मेट मेरी साइकिल ठीक कराने बाहर आये मगर मुझे अभी भी डर लग रहा था की कही वो यहा भी न भटक जाये मगर वो वहा कैसे हो गी ये कह कर मै खुद को समझाने लगा ! लखनऊ शहर कितना बडा हैं और ना जाने किस गली में वो रहती होगी यही सब सोच रहा था कि दुकान वाले अंकल बोले बेटा हम साइकिल ठीक तो कर देगे मगर पूरा पॉच रूपया लगे गा ! हमारे रूम मेट ने कहा "ठीक है पॉच रूपय......मगर थोडा जल्दी करिए! करीब बीस पच्चीसी मिनट के बाद हमारी साइकिल फिर से मोटर साइकिल बन गई मतलब एकदम हनाहन हो गई! हम दोनों नीचे की तरफ झुक कर पहिया देख रहे थे कि साइकिल की अचानक रिंग बजी मैंने बेपरवाही से उपर उठकर के देखा तो सामने वही खडी थी किसी लम्बे से आदमी के साथ .......! second part #LOVECYCLE-2 #sayriwale #hindiwriting #lovestory