सम्मान हमेशा ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है, ये बे-इरादा उदासी कहाँ से आती है, इसे नए दर-ओ-दीवार भी न रोक सके, वो इक सदा जो पुराने मकाँ से आती है, बदन की बॉस नसीम-ए-लिबास बू-ए-नफ़स, कोई महक हो उसी ख़ाक-दाँ से आती है, दिलों की बर्फ़ पिघलती नहीं है जिसके बग़ैर, वो आँच एक ग़म-ए-बे-निशाँ से आती है. ©koi tu h Honor .......🍁 #PoetInYou