लगाने से पहले सोचना था... नीचे पढे.👇👇👇👇 लगाने से पहले सोचना था, की लगाया ही क्यों था.. जब वो पौधा था तो, पेड़ बताया ही क्यों था.. लगाकर उसे ज़मीं में, पानी पिलाया ही क्यों था.. जब काटना ही था उसे, तो बढ़ाया ही क्यों था.. धीरे धीरे जब पौधा, पौधा से पेड़ होने लगा.. तेरा उसकी ठंडी छांव में, बसेरा होने लगा..