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हर बात जो मैं जानता हूँ , तुमसे कहता हूं, दिल की

हर बात जो मैं जानता हूँ ,
तुमसे कहता हूं,
 दिल की सुनता हूँ...
दिमाग की कहाँ मानता हूँ,
आज़ाद पंछी हूँ खुली उड़ानों की आदत हैं,
टोक देता है कोई तो बुरा भी मानता हूं,
रहगुज़र बनकर साथ चले हो दो पल,
मेरे शौक को ज़लील ज़रूरत समझते हो,
मुझसे हूँ मैं ही हूँ "अंजान"अब तक,
और तुम कहते हो
 "मैं तुमको अच्छे से जानता हूँ।"

©vaibhav dadhich 720 #shortpoetry #SAD #sadpoetry #sad_poetry #anjan 720
#alone
हर बात जो मैं जानता हूँ ,
तुमसे कहता हूं,
 दिल की सुनता हूँ...
दिमाग की कहाँ मानता हूँ,
आज़ाद पंछी हूँ खुली उड़ानों की आदत हैं,
टोक देता है कोई तो बुरा भी मानता हूं,
रहगुज़र बनकर साथ चले हो दो पल,
मेरे शौक को ज़लील ज़रूरत समझते हो,
मुझसे हूँ मैं ही हूँ "अंजान"अब तक,
और तुम कहते हो
 "मैं तुमको अच्छे से जानता हूँ।"

©vaibhav dadhich 720 #shortpoetry #SAD #sadpoetry #sad_poetry #anjan 720
#alone