स्वयंबर आंकलन मन से मन का होनें लगे। कोई चंचल -हृदय स्वप्न बोनें लगे। कंदराओं में हो शाद जब प्रस्फुटित - फिर दो - नैंनों से बरखा होनें लगे। हेमाश्री प्रयाग।।