मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ, बुझी राख या *शोण हूँ? (*शोण- आग) मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ बबूल हूँ या सागौन हूँ । स्तब्ध हूँ, सुन्न हूँ, मौन हूँ, कुछ दिनों से बेचैन हूँ छली जगत के बिंदुओं से.. घिरा एक उलझा कोण हूँ। संज्ञाहीन, भावहीन हूँ, आजकल प्रभावहीन हूँ, ठगी जगत की जातियों में.. घिरा एक मानव गौण हूँ। अस्त व्यस्त आधा पौण हूँ टुटा बिखरा सा *द्रोण हूँ, (*द्रोण - लकड़ी का रथ) धूर्त जगत की शैतानियाँ.. झेलता सिपाही मौन हूँ। कवि आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich मैं कौन हूँ #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #kavitaye #walkalone