वो प्रेम भाव से भरा सुन्दर सा एक गांव स्मरण जब हो जाए, मन बावरा पुलकित सा हो जाए । खेतों की मेढो पर दौड़ा करते थे हम, कभी ईख के खेतों मे, मीठा रसपान करते थे हम । खेतों से सटा जंगल, वो मृगों का विचरण, वो पक्षियों का कलरव, हर्षित कर देता था मन । इक मीठी सरिता बहती गांव के एक छोर, सावन आता, मेघ गरजते मोर मचाते शोर। वो सुन्दर प्यारी -प्यारी फूलो से भरी क्यारियां हमे उकसाया करती थी, छोटी -छोटी दो पहाड़िया । हर त्योहार प्रेम से सब मनाते कंही होली का रंग उड़े, दीवाली के छुटे पटाखे । कल्पित सा वो लगता है मानो कोई सपना हो, है इच्छा एक गांव हो ऐसा, हम सब का जो अपना हो । arvind bhanwra गांव ।