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वो प्रेम भाव से भरा सुन्दर सा एक गांव स्मरण जब हो

वो प्रेम भाव से भरा
सुन्दर सा एक गांव 
स्मरण जब हो जाए, 
मन बावरा पुलकित सा हो जाए ।
खेतों की मेढो पर 
दौड़ा करते थे हम, 
कभी ईख के खेतों मे,
मीठा रसपान करते थे हम ।
खेतों से सटा जंगल, 
वो मृगों का विचरण, 
वो पक्षियों का कलरव, 
हर्षित कर देता था मन ।
इक मीठी सरिता बहती 
गांव के एक छोर, 
सावन आता, मेघ गरजते 
मोर मचाते शोर।
वो सुन्दर प्यारी -प्यारी 
फूलो से भरी क्यारियां
हमे उकसाया करती थी, 
छोटी -छोटी दो पहाड़िया ।
हर त्योहार प्रेम से सब मनाते 
कंही होली का रंग उड़े,
दीवाली के छुटे पटाखे ।
कल्पित सा वो लगता है 
मानो कोई सपना हो, 
है इच्छा एक गांव हो ऐसा, 
हम सब का जो अपना हो ।
arvind bhanwra गांव ।
वो प्रेम भाव से भरा
सुन्दर सा एक गांव 
स्मरण जब हो जाए, 
मन बावरा पुलकित सा हो जाए ।
खेतों की मेढो पर 
दौड़ा करते थे हम, 
कभी ईख के खेतों मे,
मीठा रसपान करते थे हम ।
खेतों से सटा जंगल, 
वो मृगों का विचरण, 
वो पक्षियों का कलरव, 
हर्षित कर देता था मन ।
इक मीठी सरिता बहती 
गांव के एक छोर, 
सावन आता, मेघ गरजते 
मोर मचाते शोर।
वो सुन्दर प्यारी -प्यारी 
फूलो से भरी क्यारियां
हमे उकसाया करती थी, 
छोटी -छोटी दो पहाड़िया ।
हर त्योहार प्रेम से सब मनाते 
कंही होली का रंग उड़े,
दीवाली के छुटे पटाखे ।
कल्पित सा वो लगता है 
मानो कोई सपना हो, 
है इच्छा एक गांव हो ऐसा, 
हम सब का जो अपना हो ।
arvind bhanwra गांव ।