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"जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं,

"जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है
हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना..
अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता है किंतु कभी यह मन यह प्रश्न नहीं करता की... उसका जीवन क्या है? उसका उद्देश्य क्या है? 
हर" भाव" जीता है, और दूसरों के लिए जितना बन सके "देता" जाता है जब "सागर" में होता है तो "असंख्य जलीय जीवो" को "जीवन" देता है जो "सागर से भाप" बन कर" मेघ" बनता है किसानों को "आशा" देता है कि "फसल" पुनः उपजे, जो वर्षा बनकर बरसता है तो इस सूखी "प्यासी धरा" को सिंचता है, और जब नदी में होता है तो किनारों पर "वनस्पतियों" को "जन्म" देता है किंतु सोचिए क्या कभी जल सोचता होगा कि उसका जीवन क्या है?... उसके जीवन का उद्देश्य क्या है...?.. नहीं वह बस अपना" धर्म" करता जाता है और जितना हो सके सबको "आनंद" देता जाता है इसलिए जीवन में कभी यह प्रश्न मत कीजिएगा कि यह जीवन क्या है..? इस जीवन का उद्देश्य क्या है..? बस इस जीवन को जी ले और जितना हो सके उतना सबको आनंद दे... 🙏🏻👍🏻......

#ŃÅVM Şçhöõľ Ńëémřãńå

Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖋️🖊️✨✨ "जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है
हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना..
अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता है किंतु कभी यह मन यह प्रश्न नहीं करता की... उसका जीवन क्या है? उसका उद्देश्य क्या है? 
हर" भाव" जीता है, और दूसरों के लिए जितना बन सके "देता" जाता है जब "सागर" में होता है तो "असंख्य जलीय जीवो" को "जीवन" देता है जो "सागर से भाप" बन कर" मेघ" बनता है किसानों को "आशा" देता है कि "फसल" पुनः उपजे, जो वर्षा बनकर बरसता है तो इस सूखी "प्यासी धरा" को सिंचता है, और जब नदी में होता है तो किनारों पर "वनस्पतियों" को "जन्म" देता है किंतु सोचिए क्या कभी जल सोचता होगा कि उसका जीवन क्या है?... उसके जीवन का उद्देश्य क्या है...?.. नहीं वह बस अपना" धर्म" करता जाता है और जितना हो सके सबको "आनंद" देता जाता है इसलिए जीवन में कभी यह प्रश्न मत कीजिएगा कि यह जीवन क्या है..? इस जीवन का उद्देश्य क्या है..? बस इस जीवन को जी ले और जितना हो सके उतना सबको आनंद दे... 🙏🏻👍🏻......

#ŃÅVM Şçhöõľ Ńëémřãńå

Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖋️🖊️✨✨
"जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है
हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना..
अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता है किंतु कभी यह मन यह प्रश्न नहीं करता की... उसका जीवन क्या है? उसका उद्देश्य क्या है? 
हर" भाव" जीता है, और दूसरों के लिए जितना बन सके "देता" जाता है जब "सागर" में होता है तो "असंख्य जलीय जीवो" को "जीवन" देता है जो "सागर से भाप" बन कर" मेघ" बनता है किसानों को "आशा" देता है कि "फसल" पुनः उपजे, जो वर्षा बनकर बरसता है तो इस सूखी "प्यासी धरा" को सिंचता है, और जब नदी में होता है तो किनारों पर "वनस्पतियों" को "जन्म" देता है किंतु सोचिए क्या कभी जल सोचता होगा कि उसका जीवन क्या है?... उसके जीवन का उद्देश्य क्या है...?.. नहीं वह बस अपना" धर्म" करता जाता है और जितना हो सके सबको "आनंद" देता जाता है इसलिए जीवन में कभी यह प्रश्न मत कीजिएगा कि यह जीवन क्या है..? इस जीवन का उद्देश्य क्या है..? बस इस जीवन को जी ले और जितना हो सके उतना सबको आनंद दे... 🙏🏻👍🏻......

#ŃÅVM Şçhöõľ Ńëémřãńå

Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖋️🖊️✨✨ "जीवन" क्या है...?... यह जीवन हम "जन्म" लेते हैं, "बड़े" होते हैं हमारे "मां बाप" हमें पालते हैं, और फिर उनके "धन"💵से हमारा "बालपन" बीतता है फिर हम बड़े होते हैं हम विवाह कर लेते हैं हमारी "संतानें" होती है
हम उनको पालते हैं फिर हम "वृद्ध" 👴 हो जाते हैं और फिर एक दिन इस "संसार" से चले जाते हैं क्या यही "जीवन" है....?... आता होगा यह" प्रश्न" आपके मन में कई बार... है ना..
अब तनिक" जल की यात्रा" देखिए "सागर" से "भाप" बनकर उठता है "मेघ" ☁बन कर "बरसता" 🌧है फिर "नदी" बनकर पुनः "सागर" में समावेश करता है किंतु कभी यह मन यह प्रश्न नहीं करता की... उसका जीवन क्या है? उसका उद्देश्य क्या है? 
हर" भाव" जीता है, और दूसरों के लिए जितना बन सके "देता" जाता है जब "सागर" में होता है तो "असंख्य जलीय जीवो" को "जीवन" देता है जो "सागर से भाप" बन कर" मेघ" बनता है किसानों को "आशा" देता है कि "फसल" पुनः उपजे, जो वर्षा बनकर बरसता है तो इस सूखी "प्यासी धरा" को सिंचता है, और जब नदी में होता है तो किनारों पर "वनस्पतियों" को "जन्म" देता है किंतु सोचिए क्या कभी जल सोचता होगा कि उसका जीवन क्या है?... उसके जीवन का उद्देश्य क्या है...?.. नहीं वह बस अपना" धर्म" करता जाता है और जितना हो सके सबको "आनंद" देता जाता है इसलिए जीवन में कभी यह प्रश्न मत कीजिएगा कि यह जीवन क्या है..? इस जीवन का उद्देश्य क्या है..? बस इस जीवन को जी ले और जितना हो सके उतना सबको आनंद दे... 🙏🏻👍🏻......

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Bý-Åťüľ Şhãřmå 🖋️🖊️✨✨
atulsharma6011

Atul Sharma

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