याद रखा जाएगा ये भी एक दौर. कभी पिंजरा बनाने वाले पिंजरे में थे और उसमें रहने वाले आज़ाद. : कितना हास्यास्पद/दुःखद प्रसंग है न मानव के क़ैद से प्रकृति (पेड़,पंक्षी,जानवर) की रिहाई..! : ~नीरज ©neerajthepoet याद रखा जाएगा ये भी एक दौर. कभी पिंजरा बनाने वाले पिंजरे में थे और उसमें रहने वाले आज़ाद. : कितना हास्यास्पद/दुःखद प्रसंग है न