मिठास मोहब्बत की तेरे पहलू में आता है सकून मुझको ऐसे उड़ते पंछी को मिल जाए कहीं छाया जैसे दिल को आता है करार रूबरू होकर तुझसे प्यासे पंथी को मिल जाए कहीं दरिया जैसे तेरी बातों में हो जाती हूं बावरी मैं ऐसे बंसी के धुन पर नाचती हो राधा जैसे मेरे ख्वाबों की वो रंगीन तस्वीर हो तुम जिस्म में होती है छिपी रुह कोई जैसे केशी गुप्ता लेखिका समाज सेविका द्वारका दिल्ली ©keshi Gupta #unlimitedishq #Dilkebaat