घर कच्चा है! चलेगा जनाब रिश्ते पक्के होना जरूरी है।। छत टपकती है; टपकने दो किसी आंख से आंसू ना टपकने देना जरूरी है। पांव जलते हैं आंगन में, ठीक है। किसी का मन ना जलने देना जरूरी है। छप्पन भोज ना मिलें ना सही! की छप्पन भोज ना मिलें ना सही ।। पर जब कोई भूखा आये दरवाजे पर आश लेकर! दो रोटी नसीब हो, उसे भी! इतना भंडार जरूरी है।।। @indian निश्छल ©Nischhal Raghuwanshi #Gulaab b #shaysrilovers #Love #bhukh #मर्यादा #कच्चाघर #aasha #poem✍🧡🧡💛 #Nojoto